जब हम उदास या गुस्से में होते हैं, तो इसे डिप्रेशन कहते हैं। डिप्रेशन में हमें लगता है कि हम खुश नहीं रह सकते, और सब कुछ बुरा हो रहा है। लेकिन प्रेमानंद जी कहते हैं कि हम डिप्रेशन से बाहर निकल सकते हैं, अगर हम कुछ आसान तरीके अपनाएं।
1. खुद को समझो और स्वीकार करो
जब हम उदास होते हैं, तो हमें खुद से यह कहना चाहिए, “ठीक है, मैं अब थोड़ा उदास हूं, लेकिन मुझे अच्छा महसूस करने का तरीका मिलेगा।” हमें खुद को समझकर प्यार करना चाहिए। जैसे जब तुम गिरते हो और चोट लगती है, तो क्या तुम अपने को डांटते हो? नहीं, तुम कहते हो, “ठीक है, मैं फिर से खेलूंगा।” वैसे ही, जब मन दुखी हो, तो खुद से कहो कि “ठीक है, मैं खुश रह सकता हूं।”
2. ध्यान लगाओ और शांति पाओ
प्रेमानंद जी कहते हैं कि जब हम शांत बैठते हैं और अपनी सांस पर ध्यान देते हैं, तो मन बहुत शांति महसूस करता है। जैसे हम गहरी साँस लेते हैं और बाहर छोड़ते हैं, वैसे हमें आराम मिलता है। अगर तुम थोड़ा समय ध्यान और गहरी सांस लेने में लगाओ, तो तुम खुश महसूस करोगे।
3. हमेशा खुश रहने की कोशिश करो
प्रेमानंद जी कहते हैं, “हमेशा खुश रहो, चाहे कुछ भी हो!” जब तुम खुश रहते हो, तो डिप्रेशन दूर रहता है। जैसे तुम अपने दोस्तों के साथ खेलते हो या अपनी पसंदीदा चीजें करते हो, वैसे खुश रहने से मन में अच्छा महसूस होता है। जब हम अच्छे विचार करते हैं, तो बुरा महसूस नहीं होता।
4. दूसरों से प्यार करो
प्रेमानंद जी कहते हैं, “अगर तुम दूसरों से प्यार करते हो, तो तुम भी खुश रहते हो।” जैसे तुम अपनी माँ-पापा, भाई-बहन, और दोस्तों से प्यार करते हो, वैसे हमें दूसरों को भी खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए। जब हम दूसरों को खुश रखते हैं, तो हमें भी अच्छा लगता है।
5. अच्छा सोचो और खेलो
प्रेमानंद जी ने कहा है, “जो सोचोगे, वही बनोगे।” अगर तुम हमेशा अच्छा सोचते हो, जैसे “मैं अच्छा कर सकता हूँ,” तो तुम खुश रहोगे। जैसे तुम खेलते समय अपने मन में कहते हो, “मैं यह खेल जीत सकता हूँ,” और फिर तुम कोशिश करते हो, वैसे हमें हमेशा अच्छे विचारों को अपने मन में रखना चाहिए।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि जब हम खुद से प्यार करते हैं, ध्यान लगाते हैं, खुश रहते हैं, दूसरों से प्यार करते हैं, और अच्छे विचार करते हैं, तब डिप्रेशन और दुख को हम दूर कर सकते हैं। हर दिन इन छोटी-छोटी बातों को याद रखो, और तुम हमेशा खुश रहोगे.