रंगास्वामी नटराज मुदालियर (R. Nataraja Mudaliar; 1885‑1971) को तमिल सिनेमा की शुरुआत करने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 1916‑17 में दक्षिण भारत की पहली मूक फिल्म “कीचक वधम्” (Keechaka Vadham) बनाई, जो महाभारत के विराट पर्व पर आधारित थी—इस फिल्म के निर्माण और उनकी भूमिका को समझना तमिल और दक्षिण भारतीय सिनेमा की उत्पत्ति को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
मुदालियर कौन थे?
- वेल्लोर (तमिलनाडु) में जन्मे मुदालियर ने अपने बिज़नेस (साइकिल व ऑटो पार्ट्स) से शुरुआत की, फिर पुणे जाकर Stewart Smith से फिल्म निर्माण की शिक्षा ली।
- 1916 में उन्होंने मद्रास (चेंनेई) के Millers Road, Kilpauk में दक्षिण भारत का पहला फ़िल्म स्टूडियो India Film Company की स्थापना की।
कीचक वधम् (Keechaka Vadham) – मूक फ़िल्म की शुरुआत
- यह फिल्म उनकी अपनी कंपनी India Film Company के तहत बनाई गई थी, और तमिल कलाकारों के साथ पूरी तमिल भाषा में बनाई गई पहली फिल्म मानी जाती है।
- कथा महाभारत की विराट पर्व से ली गई—कीचक द्वारा द्रौपदी के साथ किए गए अत्याचार और अंततः भीम द्वारा उसकी हत्या करने की घटना पर आधारित थी।
- फ़िल्म को लगभग 5 हफ्तों में शूट किया गया और इसकी लंबाई लगभग 6,000 फीट थी।
- बजट ₹ 35,000 था और व्यापार में ₹ 50,000 की कमाई हुई—₹ 15,000 का लाभ जो उस समय बहुत बड़ी रकम थी।
प्रभाव और विरासत
- इस फिल्म की सफलता ने मुदालियर को आगे की मिथकीय कथाओं पर आधारित फिल्में बनाने के लिए प्रेरित किया, जैसे Draupadi Vastrapaharanam (1918), Lava Kusa (1919), आदि।
- उन्हें तमिल सिनेमा का “पिता” कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने इसे दक्षिण भारत में औद्योगिक रूप देते हुए इसकी नींव रखी।
- दुर्भाग्यवश इस फिल्म की कोई प्रतिलिपि आज तक मौजूद नहीं है—यह एक lost film बनी रही।