प्राइवेट पार्ट को टच करना और नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म नहीं: इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रेप के आरोपों को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है, जो कि चर्चा का विषय बन गया है। कोर्ट ने नाबालिग के वक्ष का स्पर्श और वस्त्र को फाड़ने को दुष्कर्म के प्रयास की बजाय गंभीर यौन उत्पीड़न माना है।

न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने कासगंज के स्पेशल जज के संबंध आदेश को संबोधित करते हुए नए सिरे से सम्मान करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म के आरोप में जारी समान विधि संवत नहीं है। यह प्रकरण पटियाली, ठाणे में दर्ज किया गया है।

याची आकाश पवन और अशोक को आईपीसी की धारा 376 और POCSO अधिनियम की धारा 18 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए तलब किया गया था।